Zindagi Kafi Hai

  • ₹ 150.00


'ज़िंदगी काफ़ी है' बदलते हुए जीवन की संवेदनाओ और आधुनिक समाज की विसंगतियों के चित्रण का एक छोटा सा प्रयास है। इसके पांच भागों में कहीं आपको अपना कुछ देखा सुना सा प्रतिबिंब मिलेगा, तो कहीं इस भागती ज़िंदगी के आसपास की वह झलकियां दिखेगीं, जिन पर या तो हमारा घ्यान ही नही जाता है या जिसे हम इस नई जीवन शैली का अनचाहा बाइप्रोडक्ट मानकर स्वीकार कर लेते हैं। लखनऊ शहर की गंगा जमुनी भाषा मे लिखी इस किताब में एक तरफ निष्ठुर यथार्थ है तो वहीं कुछ मीठी कल्पनाएं भी हैं। एक और बात, यह किताब मुख्यत: आफिस आते जाते हुए बस और ट्रेन के भीड़ भरे एकांत में लिखी गई। तो आइये, अपने घर के ड्राइंग रूम के एकांत से लेकर आफिस तक की दुनिया को 'ज़िंदगी काफ़ी है' की नज़र से देखते हैं।

About the Author: Abhishek Mishra was born in year 1977 and spent his childhood and got most of his education in Lucknow, U.P. India. After completing his education, he moved out to work in several cities in India such as Secunderabad, Vadodara, Mumbai and countries such as UAE, UK and Australia. With his deep rooted connection with rural and urban life in India and having lived in several cities across India and overseas, he considers himself a global citizen and tries to bring that perspective in his writings.

 

  • Paperback: 134 pages
  • Publisher: White Falcon Publishing; 1 edition (2020)
  • Author: Abhishek Mishra
  • ISBN-13: 9781636400419
  • Product Dimensions:  12.7 x 1 x 20.3 cm

Indian Edition available on:

   


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